Thursday, June 23, 2011

VARSHAA

किसके आदेश पर  तुम आकाश से ग्रीष्म के तपते हुए चट्टानों पर गिर जाते हो ?किसके आदेश पर तुम पियूष की धारा धरती के ऊपर गिराते हो ?रिम-झिम के गीत गा कर किसके लिए तुम आते हो ?किसके लिए तुम सारी रात झूम-झूम के नाचते हो ?हे वर्षा ! सच!! तुम्हारे ह्रदय में कितना प्यार है !! तुम किसे प्यार करते हो ?वो कौन है ,जिसकी याद में तुम अपने आप को खो बैठे हो ?प्यार के आगोश में आ कर तुम्हारी काया भी तो अमृत बनकर धरती के ऊपर गिर जाती  है ? हे वर्षा तुम्हारे इस अनमोल प्यार की मिशाल और  कहाँ ?------------------शिरीष चन्द्र पुजारी 

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