किसके आदेश पर तुम आकाश से ग्रीष्म के तपते हुए चट्टानों पर गिर जाते हो ?किसके आदेश पर तुम पियूष की धारा धरती के ऊपर गिराते हो ?रिम-झिम के गीत गा कर किसके लिए तुम आते हो ?किसके लिए तुम सारी रात झूम-झूम के नाचते हो ?हे वर्षा ! सच!! तुम्हारे ह्रदय में कितना प्यार है !! तुम किसे प्यार करते हो ?वो कौन है ,जिसकी याद में तुम अपने आप को खो बैठे हो ?प्यार के आगोश में आ कर तुम्हारी काया भी तो अमृत बनकर धरती के ऊपर गिर जाती है ? हे वर्षा तुम्हारे इस अनमोल प्यार की मिशाल और कहाँ ?------------------शिरीष चन्द्र पुजारी
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