Thursday, May 26, 2011

NISH DIN


रस्ते में चलते चलते मुझे एक कागज़ का टुकड़ा मिला | उसमे कुछ लिखा हुआ था |मैंने उसे पढने के बाद जाना की किसी महिला ने प्रभु जगन्नाथ जी के पास ये चिट्ठी लिखी थी |चिट्ठी  को पढने के बाद मैंने ये कविता 
लिखी   |उस चिट्ठी के  बहुत सारे पंक्तियाँ  और शब्द इस कविता  में हैं |इसीलिए ये कविता मेरी नहीं है ,उस राधा या मीरा जैसी कोई भक्त की है | प्रभु जगन्नाथ जी की कृपा उनके ऊपर सदा बनी रहे |---------शिरीष चन्द्र पुजारी 

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